Sunday, January 20, 2013

khudkushi karne wale

खुदखुशी करनेवालों से खुदा भी खफा हो जाता है 

जिंदगी में आदमी के कभी ऐसा हादसा हो जाता है 
के किसी की जुदाई में जीना भी दुश्वार हो जाता है 

गुजरते वक़्त के साथ हर कोई जीना सीख जाता है 
के दुनिया का मेला यूँ अविरत चलता चला जाता है 

गुलशन से गुल कांटे को रोज अलविदा कह जाता है 
मगर कांटा उसे भूलकर नए गुलाबों में खो जाता है 

यूँ इश्क में जाँनिसार करनेवाले आशिकों ये ना भूलो 
के खुदखुशी करनेवालों से खुदा भी खफा हो जाता है 

हर गम को सहके जीने का रख हौंसला बुलंद "अमोल"
के बुलंद हौंसले वालों पे मेहरबाँ खुद खुदा हो जाता है

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